डॉ अभिषेक कुमार को बिहार का बनाया गया नेशनल अलाइड हेल्थ केयर एसोसिएशन का वाइस प्रसिडेंट

डॉ अभिषेक कुमार को बिहार का बनाया गया नेशनल अलाइड हेल्थ केयर एसोसिएशन का वाइस प्रसिडेंट

बिहार के बलिया जिले के एक छोटे से गाँव सदानंदपुर से एक नेत्र विशेषज्ञ अब राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली संगठनों में एक नेता बन गए हैं। डॉ अभिषेक कुमार को नेशनल अलाइड एंड हेल्थ केयर एसोसिएशन इंडिया ने बिहार का वाइस प्रसिडेंट नियुक्त किया है। यह नियुक्ति केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक छोटे शहर के एक डॉक्टर के लिए एक राष्ट्रीय मंच पर उनकी आवाज को मजबूती देने का प्रतीक है। डॉ कुमार अब तक बलिया अनुमंडल मुख्यालय में दस साल से एक कंसलटेंट नेत्र विशेषज्ञ के रूप में लोगों की आँखों की देखभाल कर रहे हैं। अब वे उन सभी स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए आवाज बनेंगे, जिनकी आवाज अक्सर भूल जाई जाती है।

एक डॉक्टर की यात्रा: गाँव से राष्ट्रीय मंच तक

डॉ अभिषेक कुमार का जन्म और बड़ा होना बलिया के फतेहपुर पंचायत के सदानंदपुर गाँव में हुआ। वहाँ के लोग अक्सर बड़े शहरों में जाकर ही अपनी पहचान बनाते हैं। लेकिन डॉ कुमार ने अपने गाँव के बाहर जाने की जगह, अपने घर के पास ही अपनी चिकित्सा शिक्षा को गहरा किया। उन्होंने क्लिनिकल ऑप्ट और ओपथलमोलॉजी टेक्निक में पीएचडी पूरी की, जो नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में बहुत कम लोग ही प्राप्त कर पाते हैं। यह उपलब्धि उनकी लगन का सबूत है। उन्होंने कभी भी अपने रोगियों को छोड़कर बड़े शहरों की ओर नहीं देखा। इसी लगन ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

अधिकारों की लड़ाई: एक नया लक्ष्य

नियुक्ति के बाद डॉ कुमार ने एक स्पष्ट दिशा बताई: अब उनकी पहली प्राथमिकता होगी हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के अधिकारों की रक्षा। यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक आवाज है जो लाखों अलाइड हेल्थ कार्यकर्ताओं, नर्सों, लैब तकनीशियनों और फिजियोथेरेपिस्ट्स के लिए बोल रही है। ये लोग अक्सर अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानते, न ही उनकी आवाज सुनी जाती है। डॉ कुमार का लक्ष्य है कि बिहार में हर एक स्वास्थ्य पेशेवर के लिए एक नीतिगत ढांचा बनाया जाए, जिसमें उनके वेतन, कार्य घंटे और सुरक्षा के लिए नियम लागू हों।

मोदी सरकार की भूमिका: एक अहम उल्लेख

डॉ कुमार ने अपने बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी सरकार द्वारा नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स के गठन का कदम एक ऐतिहासिक बदलाव है। यह कमीशन अभी तक केवल घोषणा के स्तर पर है, लेकिन इसके बारे में कोई विस्तृत योजना अभी तक सामने नहीं आई है। फिर भी, डॉ कुमार के लिए यह एक संकेत है कि सरकार अब उन लोगों को भी ध्यान में रख रही है, जो अस्पतालों के पीछे छिपे हुए हैं। उन्होंने कहा, "जब तक हमारे स्वास्थ्य कर्मचारी सुरक्षित नहीं होंगे, तब तक राष्ट्र का स्वास्थ्य भी असुरक्षित होगा।"

बलिया के बुद्धिजीवी भी खुश

इस नियुक्ति के बाद बलिया क्षेत्र के शिक्षक, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने डॉ कुमार को बधाई दी। एक स्थानीय शिक्षक ने कहा, "वो हमारे गाँव का बेटा है। उसने अपनी शिक्षा को अपने गाँव से दूर नहीं ले जाया, बल्कि उसे अपने गाँव में ही उपयोग किया।" यह बात बहुत महत्वपूर्ण है — डॉ कुमार ने एक ऐसा मॉडल दिखाया है जहाँ शिक्षा का उपयोग व्यक्तिगत सफलता के लिए नहीं, बल्कि समुदाय के लिए किया जा सकता है।

अगला कदम: नीतियों का निर्माण

अब डॉ कुमार का काम शुरू हो रहा है। उन्हें बिहार में 15,000 से अधिक अलाइड हेल्थ पेशेवरों के लिए एक नीति तैयार करनी होगी। इसमें शामिल होंगे: न्यूनतम वेतन, बीमा कवर, शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए सरकारी सहायता, और एक शिकायत निवारण तंत्र। उन्होंने बताया कि अगले तीन महीनों में बिहार के 38 जिलों में से पहले 10 जिलों में लोगों के साथ बैठकें आयोजित की जाएँगी। यह एक बड़ा काम है — लेकिन एक गाँव के डॉक्टर के लिए, जिसने दस साल तक एक छोटे क्लिनिक में लोगों की आँखें बचाई हैं, यह एक नया चुनौतीपूर्ण अध्याय है।

क्यों यह खबर महत्वपूर्ण है?

इस खबर का महत्व इस बात में है कि यह एक छोटे शहर के एक डॉक्टर की जीत है — न कि एक बड़े शहर के एक प्रसिद्ध चिकित्सक की। यह दर्शाता है कि अगर आप अपने क्षेत्र में ईमानदारी से काम करते हैं, तो आपकी आवाज एक दिन राष्ट्रीय स्तर पर सुनी जा सकती है। यह एक ऐसा संदेश है जो हर छोटे शहर और गाँव के युवाओं के लिए प्रेरणादायक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

डॉ अभिषेक कुमार की शैक्षणिक योग्यता क्या है?

डॉ अभिषेक कुमार ने क्लिनिकल ऑप्ट और ओपथलमोलॉजी टेक्निक में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है, जो नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में अत्यंत विशिष्ट है। यह उपाधि भारत में केवल कुछ ही चिकित्सक प्राप्त कर पाते हैं, और इसके लिए अतिरिक्त शोध और प्रैक्टिकल अनुभव की आवश्यकता होती है।

नेशनल अलाइड एंड हेल्थ केयर एसोसिएशन इंडिया क्या है?

यह एक राष्ट्रीय स्तरीय संगठन है जो अस्पतालों में काम करने वाले नर्स, लैब तकनीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट, ऑप्टोमेट्रिस्ट और अन्य अलाइड हेल्थ पेशेवरों के अधिकारों की रक्षा करता है। इसका उद्देश्य उनके लिए नीतिगत ढांचा बनाना और उनकी आवाज को सरकारी निर्णयों में शामिल करना है।

नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एंड हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स क्या है?

यह एक अभी तक घोषित केवल निर्माणाधीन संस्था है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अलाइड पेशेवरों के लिए एक नियामक निकाय बनाने के लिए घोषित किया है। अभी तक इसकी संरचना, अधिकार या बजट का कोई विवरण जारी नहीं हुआ है।

डॉ कुमार की नियुक्ति के बाद बिहार में क्या बदलाव आएगा?

उनका लक्ष्य है कि बिहार के 38 जिलों में से पहले 10 जिलों में अलाइड हेल्थ पेशेवरों के साथ बैठकें आयोजित करके उनकी समस्याएँ जानी जाएँ। इसके बाद एक राज्यव्यापी नीति तैयार की जाएगी, जिसमें न्यूनतम वेतन, बीमा और प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था शामिल होगी।