10वीं पास युवा अब खाद-बीज की दुकान खोल सकेंगे, 15 दिन का कोर्स अनिवार्य

10वीं पास युवा अब खाद-बीज की दुकान खोल सकेंगे, 15 दिन का कोर्स अनिवार्य

अब 10वीं पास युवा भी खाद, बीज और कीटनाशक बेचने का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं—बस एक 15 दिन का डिप्लोमा कोर्स पूरा कर लें। केंद्र सरकार ने कृषि विभाग के नए नियमों के तहत पुरानी बाधाओं को हटाते हुए यह ऐतिहासिक बदलाव किया है। पहले इस व्यवसाय के लिए बीएससी एग्रीकल्चर या डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर जरूरी था, जिससे गांवों के लाखों युवाओं के लिए यह सपना अप्राप्य रहा। अब ये सपने वास्तविकता बन रहे हैं। लेकिन यह आसानी से नहीं, बल्कि एक कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के 15 दिन के प्रशिक्षण के बाद ही। और इसकी लागत? 12,500 रुपये।

क्यों बदले नियम?

किसानों को गलत खाद, बेकार बीज या जहरीले कीटनाशक देने की घटनाएं पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गई हैं। कई दुकानदार खुद नहीं जानते कि बीज किस फसल के लिए है, या खाद का एनपीके अनुपात क्या है। इससे फसलें बर्बाद हो जाती हैं, किसान ऋण में फंस जाते हैं। कृषि विभाग के अनुसार, यही कारण है कि इस बार नियमों में बदलाव किया गया। लेकिन बस लाइसेंस दे देना काफी नहीं—जानकारी देना जरूरी है।

कैसे होगा प्रशिक्षण?

कोर्स का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के जरिए होता है। ये कोर्स लगातार 15 दिन चलते हैं—रोज सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक। यहां आवेदकों को खादों के प्रकार (जैविक, रासायनिक, जैव-कार्बनिक), बीजों की बुआई तिथि, फसल-विशिष्ट कीटनाशकों के उपयोग, और खेती के लिए जल संरक्षण तक की जानकारी दी जाती है। दो बार परीक्षा होती है: एक मध्यवर्ती, और अंतिम। सफल होने पर हैदराबाद विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र मिलता है। यह प्रमाणपत्र न सिर्फ एक कागज है—यह एक विश्वास का प्रमाण है।

कहाँ-कहाँ चल रहा है कोर्स?

बिहार के अधौरा और सहरसा में पहले से ही कोर्स शुरू हो चुके हैं। अधौरा में 40 युवाओं ने प्रशिक्षण लिया, और अब उन्हें लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सहरसा कृषि कॉलेज में तो डिप्लोमा और लाइसेंस एक साथ मिल रहे हैं—एक बार में दो फायदे। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार भारती ने बताया कि यहां एक वर्ष, छह माह और 15 दिन के तीन स्तर के कोर्स चल रहे हैं। जिनके पास समय है, वे लंबे कोर्स लें, जिनके पास नहीं, वे 15 दिन का चुनें।

ऑनलाइन लाइसेंस कैसे मिलेगा?

प्रमाणपत्र मिलने के बाद, आवेदक को DBT पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आधार कार्ड से पहचान होगी, और फिर लाइसेंस जारी होगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल है—कोई भी भ्रष्टाचार, कोई भी बीच का दलाल। इसके बाद दुकान खोलने के लिए केवल एक छोटा सा स्थान और एक टेबल चाहिए। गांव के बाजार में एक दुकान, एक फोन, और एक जानकारी भरा दिमाग—यही अब नया किसान सहायक है।

किसानों के लिए क्या फायदा?

किसानों के लिए क्या फायदा?

कृषि विभाग का दावा है कि इस पहल से किसानों की आय दोगुनी होगी। क्यों? क्योंकि अब वे गलत उत्पाद नहीं खरीदेंगे। एक जानकारी वाला दुकानदार उन्हें बताएगा कि राजस्थान की जमीन में कौन सा बीज चलेगा, या उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में कौन सा कीटनाशक काम करेगा। जैविक खेती के बारे में भी वे जानकारी देंगे—और यह बहुत बड़ा बदलाव है। पहले किसान खुद जानकारी ढूंढते थे। अब वह जानकारी उनके बाजार में आ रही है।

क्या यह सब संभव है?

कुछ विशेषज्ञ डरते हैं कि 15 दिन में क्या सिखाया जा सकता है? लेकिन यह वही बात है जो 2015 में डिजिटल पेमेंट के लिए कहा गया था—क्या आम आदमी यह समझ पाएगा? अब हर कोई उपयोग करता है। यह भी ऐसा ही है। यह एक शुरुआत है। जैसे-जैसे ये दुकानदार अनुभव जमा करेंगे, वे खुद अपने गांव के लिए एक जानकारी केंद्र बन जाएंगे। यह नियम न सिर्फ रोजगार दे रहा है—यह गांवों को डिजिटल और ज्ञान-आधारित बना रहा है।

Frequently Asked Questions

10वीं पास व्यक्ति को किस तरह का प्रशिक्षण मिलेगा?

15 दिन के प्रशिक्षण में आवेदकों को खादों के प्रकार (जैविक, रासायनिक), बीजों की बुआई तिथि, फसल-विशिष्ट कीटनाशकों के उपयोग, और जल संरक्षण की तकनीकें सिखाई जाती हैं। इसके अलावा वे खेती के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी पाते हैं। प्रशिक्षण के दौरान दो परीक्षाएं होती हैं, और सफलता के बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय का प्रमाणपत्र मिलता है।

क्या इस कोर्स के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता जरूरी है?

नहीं। अब केवल 10वीं पास होना ही पर्याप्त है। बीएससी या डिप्लोमा की जरूरत नहीं है। लेकिन आवेदन के लिए आधार कार्ड और एक छोटा सा रजिस्ट्रेशन फीस (12,500 रुपये) जमा करना होता है। यह फीस कोर्स के सामग्री, प्रशिक्षकों और परीक्षा व्यवस्था के लिए खर्च होती है।

लाइसेंस मिलने के बाद दुकान खोलने के लिए क्या जरूरी है?

लाइसेंस मिलने के बाद केवल एक छोटा सा स्थान और एक टेबल चाहिए। दुकान के लिए कोई विशेष भवन या बड़ा निवेश नहीं चाहिए। दुकान का नाम और ठिकाना DBT पोर्टल पर अपलोड करना होता है, और फिर विभाग उसे सत्यापित कर देता है। किसी भी भ्रष्टाचार के बिना पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है।

यह नियम किन राज्यों में लागू है?

यह नियम देशभर में लागू है, लेकिन अभी तक बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक सक्रियता देखी गई है। कृषि विज्ञान केंद्र इन राज्यों में अधिक संख्या में कोर्स आयोजित कर रहे हैं। अन्य राज्य भी धीरे-धीरे इस प्रणाली को अपना रहे हैं।

क्या इससे किसानों की फसलों की गुणवत्ता में सुधार होगा?

हां। जब दुकानदार सही बीज, सही खाद और सही कीटनाशक बेचेंगे, तो फसलों का उत्पादन बढ़ेगा। अधिक जैविक खेती के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी। किसानों को अब गलत उत्पादों से बचाया जा रहा है, जिससे उनकी आय और खेती की टिकाऊपन दोनों में सुधार होगा।

क्या यह योजना किसानों की आय दोगुनी करेगी?

यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अगर किसान सही उत्पादों का उपयोग करें, तो उनकी फसलों का उत्पादन 20-30% तक बढ़ सकता है। इसके साथ ही उनकी लागत कम होगी क्योंकि वे अनावश्यक रासायनिक खर्च से बचेंगे। यह योजना आय बढ़ाने का एक माध्यम है—न कि एक तुरंत जादू।