जहां से शुरू वहां पर खत्म नहीं हुआ ये चुनाव
ये चुनाव जहां से शुरू हुआ था वहां पर खत्म नहीं हुआ। ये चुनाव मुद्दों से शुरू हुआ और बाद में व्यक्तिगत आरोपों में तब्दील हो गया मगर उन सबके बीच इस बात को जानना होगा कि आखिरकार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कहां पर फेल हो गए। ये अच्छा मौका था जब हवा भी कहीं न कहीं उनके पक्ष में थी मगर उस हवा को अखिलेश वोट बैंक में तब्दील नहीं कर पाए। नवभारत टाइम्स ये बात हवा हवाई नहीं लिख रहा। इसके पीछे 12000 किलोमीटर की चुनावी यात्रा और हजारों लोगों को बातचीत के आधार पर है।
अखिलेश यादव ने गंवाया गोल्डन चांस
हमें इस बार बीजेपी और सपा में कड़ी टक्कर का अंदेशा था। अखिलेश यादव की जनसभाओं (Akhilesh Yadav Jansabha) में भारी हुजूम भी था। कार्यकर्ताओं में जोश भी था मगर इस सबके बीच जो नहीं था वो है संयम। हम जब यादव लैंड पहुंचे और लोगों से बातचीत करने की कोशिश तो वहां पर हवा तो पूरी समाजवादी पार्टी की दिखी मगर वो कार्यकर्ता संयमित नहीं दिखे। कई जनसभाओ में हमको लोग शराब की हालत में मिले। करहल सीट में अपने भाई के लिए वोट मांगने गए पूर्व सांसद धर्मेंद यादव से हम इंटरव्यू के लिए गए। वहां पर वो एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इंटरव्यू के दौरान ही सपा के कार्यकर्ता अभद्र टिप्पणी करने लगे और फिर हमको वो इंटरव्यू ड्रॉप करना पड़ा। समाजवादी पार्टी के हार के कारण…
कार्यकर्ताओं का अति उत्साह
सपा कार्यकर्ताओं को पहले चरण के बाद ऐसा लगने लगा कि जैसे वो चुनाव जीत ही गए हो। सपा के कार्यकर्ताओं ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव को इतना भरोसा दिला दिया कि वो घोषणा से पहले ही वो खुद को सीएम मान बैठे। शायद उनको ये समझ नहीं आया होगा कि जनता के ऊपर इन सबका बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है। सपा के कार्यकर्ता और समर्थकों ने अखिलेश यादव को सबसे ज्यादा डेंट पहुंचाया। एक खास जाति के लोगों ने गांवों में ये कहना शुरू कर दिया कि 10 मार्च के बाद देख लेंगे। इसका बहुत विपरीत असर पड़ा। दूसरी जातियों का वोटर लामबंद हुआ और सपा के खिलाफ वोट किया।
नहीं मिटा सके गुंडा राज का दाग
2012-2017 से तक समाजवादी पार्टी में एक नए युग की शुरुआत हुई। ये युग अखिलेश यादव का था। लोगों से सोचा कि इससे बदलाव आएगा। अखिलेश यादव युवा नेता हैं और वो अपने पिता मुलायम सिंह यादव से विपरीत राजनीति करेंगे। अखिलेश यादव अपने कार्यकाल में भी इस छवि को सुधार नहीं पाए। बेशक उन्होंने विकास कार्य में कोई कमी नहीं छोड़ी। मगर गुंडाराज का दाग वो नहीं मिटा पाए। उनके राज में कैराना का पलायन मुद्दा, मुजफ्फरनगर दंगा समेत कई ऐसे छोटे मोटे दाग लगे जिसने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया।
कनेक्ट नहीं कर पाए अखिलेश यादव
अखिलेश यादव की रैलियों में काफी भीड़ थी। हमने कई जगहों में उनकी रैली को करीब से देखा तो लगता नहीं था कि ये भाड़े की भीड़ है। मगर अखिलेश इस भीड़ को देखकर इतना खुश हो गए कि वो ये भूल गए कि भीड़ कभी वोट का पैमाना नहीं हो सकता। कई रैलियों में उनकी भीड़ सीएम योगी से भी ज्यादा थी। मगर एक बात जो हमने गौर की उनके से बहुत सारे युवा वोटर्स ही नहीं थे। वो सिर्फ पार्टी का झंड़ा उठाकर टैंपो हाई है के नारे लगाने वाले थे। अखिलेश यादव तीसरे चरण के बाद इतने बदल गए कि लगा ही नहीं कि ये वही नेता है जो जनता से कनेक्ट बनाना चाहता है।
अखिलेश यादव की शैली
पुलिस ऐ पुलिस ऐ पुलिसवालों…जब अखिलेश यादव का संबोधन ऐसा हुआ तो भले ही एक खास तबके ने उनकी इस क्लिप को खूब वायरल किया मगर अखिलेश यादव को ये समझना होगा कि सिर्फ एक खास वोटबैंक से चुनाव नहीं जीत सकते। उन्होंने तो उनकी क्लिप खूब वायरल की और उसमें न जाने कितने लाइक्स और शेयर आया मगर वो अखिलेश की छवि को उतना ही धूमिल करता गया। उनकी पार्टी के समर्थकों के अलावा किसी को भी ये अंदाज रास नहीं आया। ये कुछ छोटी-छोटी बातें थीं, जिसने सपा का भरपूर नुकसान कर दिया। उनको अब सत्ता वापसी के लिए और पांच साल पीछे पहुंचा दिया।
बुलडोजर बाबा, मठ भेज देंगे…
अखिलेश यादव अगर बड़े राजनीतिज्ञ होते तो शायद ऐसे बयानों से बचते। इन बयानों से एक खास वर्ग को उनसे और दूर कर दिया। अखिलेश यादव को समझना चाहिए था कि बीजेपी के पास एक बहुत बड़ी आर्ट है वो है कि अपने ऊपर फेंके गए तीरों से वो पुल बना लेते हैं। वही काम यहां भी हुआ। आपको याद होगा 2019 लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा दिया। पूरे देश में कांग्रेस ने इसको बड़ा कैंपन बना दिया और फिर क्या हुआ। पीएम मोदी ने उनके नारे को मैं भी चौकीदार हूं में तब्दील कर दिया और फिर इसका नुकसान क्या हुआ ये आपके सामने है। इसी तरह बुलडोजर बाबा और ओमप्रकाश राजभर का मठ वाला बयान लोगों को पसंद नहीं आया। बुलडोजर बाबा कहकर सीएम योगी की छवि को और सख्त बना गए अखिलेश यादव। ये कुछ बातें जो हमें चुनावी कवरेज के दौरान महसूस हुईं वो उनका जिक्र हमने यहां पर किया।