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जब PMO ने योगी को विदेश जाने से रोका, उसी रात मोदी का आया फोन, अभी आप कहां हैं…

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Edited by अनुराग मिश्र | नवभारत टाइम्स | Updated: Mar 11, 2022, 10:22 AM

BJP Uttar Pradesh Seat 2022 : शासन का कोई अनुभव न होने के बावजूद सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि एक कड़क प्रशासक के रूप में निखरी। 2017 में किसी को नहीं पता था कि वह मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। वह तो विदेश जाने वाले थे लेकिन पीएमओ ने उन्हें परमिशन नहीं दी। कुछ घंटे में पीएम मोदी का फोन उनके पास जाता है और आगे सब इतिहास में दर्ज हो गया।

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हाइलाइट्स

  • योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने की है दिलचस्प कहानी
  • 2017 में तब सुषमा स्वराज के साथ वह विदेश जाने वाले थे
  • पीएमओ ने उन्हें परमिशन नहीं दी, बाद में दिल्ली से गया एक फोन
नई दिल्ली : 2017 तक योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की यूपी की पॉलिटिक्स में हद सिर्फ यह थी कि वह अपने एक खास इलाके में किसी और की दखलअंदाजी नहीं चाहते थे। यहां तक कि उनके इलाके में बीजेपी भी अगर उनकी मर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारती थी तो वह बीजेपी के खिलाफ हो जाया करते थे। कोई बहुत बड़ी राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन्होंने कभी नहीं पाली। 2017 में जिस वक्त यूपी के रिजल्ट आने वाले थे, उस वक्त सुषमा स्वराज उन्हें विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनाना चाह रहीं थी। योगी की दिलचस्पी इसमें भी नहीं थी लेकिन सुषमा स्वराज के अनुरोध पर उन्होंने अपना पासपोर्ट भेज दिया। वहीं, रिजल्ट आने के बाद पीएमओ से सुषमा स्वराज को यह सूचना दी गई कि प्रतिनिधिमंडल में शामिल नामों में से एक योगी आदित्यनाथ को अनुमति नहीं दी गई है।



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सुषमा स्वराज के लिए यह झटका जैसा था। उन्होंने प्रधानमंत्री से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो सकी तो उन्होंने योगी आदित्यनाथ को इसकी सूचना दी। योगी ने कहा कि वह तो पहले ही जाने के इच्छुक नहीं थे। अनुमति नहीं मिली तो उन्हें बुरा भी नहीं लगा। योगी आदित्यनाथ इस प्रकरण को भूल जाना चाहते थे लेकिन अगली रात प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन कर उनकी लोकेशन पूछी।

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योगी आदित्यनाथ ने बताया कि वह तो गोरखपुर में हैं। प्रधानमंत्री ने अगले दिन सबेरे दिल्ली आकर मुलाकात करने को कहा लेकिन इस बात को किसी और से साझा न करने की भी ताकीद की। अगले दिन जब मुलाकात हुई तो प्रधानमंत्री ने उनसे यूपी भेजने की अपनी इच्छा से उन्हें अवगत कराया।

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योगी आदित्यनाथ का जब यूपी के सीएम के लिए नाम घोषित हुआ तो राजनीतिक गलियारों में सभी का चौंकना स्वाभाविक था। माना गया कि बीजेपी ने हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने के लिए योगी को चुना है लेकिन पांच सालों के दरमियान योगी आदित्यनाथ मोहरा बनने के बजाय एक बड़े ब्रैंड बनकर उभरे। प्रशासन का कोई अनुभव न होने के बावजूद उनकी छवि एक कड़क प्रशासक के रूप में निखरी। कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर तो बुलडोजर एक प्रतीक बन गया। उन्होंने पांच साल अपनी हिंदूवादी छवि को भी और ज्यादा मजबूत किया।


2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी युग की शुरुआत के बाद राज्यों के चुनाव भी बीजेपी मोदी के चेहरे पर लड़ती रही है लेकिन योगी की बढ़ती ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यूपी का चुनाव मोदी और योगी के साझे चेहरा पर लड़ा गया। जिस चुनाव को अब तक का सबसे कठिन चुनाव माना जा रहा था, उसमें बीजेपी को मिली इतनी बड़ी जीत के बाद योगी आदित्यनाथ का अब बीजेपी के अंदर नरेंद्र मोदी के बाद सबसे ताकतवर नेता के रूप में स्थापित हो जाने की बात हो रही है। यूपी में बीजेपी को मिली जीत में योगी के योगदान को किसी भी सूरत में कमतर नहीं आंका जा सकता। गोरखपुर में भी वह एक लाख से ज्यादा मतों से जीतने में कामयाब रहे।

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Web Title : how yogi adityanath become cm and created a tough administrator image now big leader after pm modi

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